बिना अधिकार के दलितों की जमीन सरकार को अधिग्रहण मे दी, लगातार जारी है अवैध कब्जा करने की साजिश

Thejournalist
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Ayodhya : मामला जनपद तहसील सदर क्षेत्र के ग्राम माझा बरहटा से जुड़ा है पीड़ित दिव्यांग विनोद ने हमारे व्यूरो से बात करते हुए बताया कि वह  उनके पिता स्वर्गीय राम प्रताप ने 1991 में एक भूमि का बैनामा लिया था, लेकिन भू माफिया की शह पर सरकारी अभिलेखों मे छेड़छाड़ कर उप जिलाधिकारी का आदेश बताकर 2022 में इसे सभी गाटो से मुक्त कर राज्य सरकार के दर्ज दिखा दिया ,लेकिन पीड़ित दलितों की अधिगृहित भूमि पर ना उन्हें कोई नोटिस दी गई जिससे वह अपना पक्ष रख सके ना ही कोई मुवावजा ही मिल सका, जबकि कई कई बार शिकायतकर्ताओं द्वारा दी शिकायतों मे जो रिपोर्ट लगी है वो अलग अलग और भ्रामक है मामले मे पीड़ित दलित दिव्यांग ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग मे मामले की शिकायत की है जिसके बाद तथ्यो की जांच के बाद आयोग ने डीएम अयोध्या को 30 सितम्बर तक मामले से जुड़े सभी अभिलेख, जांच, आख्या तलब की थी लेकिन जिलाधिकारी ने आयोग के आदेश की अवमानना कर गरीबों के अधिकारों का मजाक उड़ा दिया जिसके बाद आयोग के तेवर सख्त हो गए है दिनाँक 3/10 को जब पीड़ित अपने अधिवक्ता के साथ पेशी पर आयोग के समक्ष हाजिर हुआ था उसी समय सुनियोजित साजिश के तहत लेखपाल मलखान सिंह महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के कर्मचारियों सहित 15 से 20 अज्ञात लोगों को लेकर उक्त जमीन पर पहुँच कर अवैध कब्जा करवाने लगे, जिस पर वहाँ आसपास के लोग इकठ्ठा हो गए और पीड़ित के घर की महिलाओ और पड़ोसियों ने विरोध करना शुरू कर दिया पीड़ित ने आरोप लगाया कि दबंगो ने महिलाओ को जाति सूचक गालियाँ दी और भारी विरोध के बाद जब वहाँ से जाने लगे तो जान से मारने की धमकी देते हुए कहा कि जमीन तो हम कब्जा कर ही लेंगे चाहे उसके लिये 2,4 को निपटाना ही पड़े तो वो भी करेंगे, ऐसे मामले जनपद मे आम हो गए है हालाँकि आयोग ने जिलाधिकारी को पुनः निर्देश देते हुए मामले से जुड़े सभी अभिलेख, जांच, आख्या को 11 नवंबर तक तलब किया है जिसे देने मे जिला प्रशासन पहुँचाने मे आनाकानी कर रहा है दिनाँक 8 अक्टूबर 2024 को महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के कर्मचारी सुशील दूबे अपने प्रॉपर्टी डीलर और 15 से 20 दबंगो को लेकर फ़र्जी रेलवे अधिकारी बनकर पुनः विवादित जमीन पर पहुँच गए और जमीन को नापने लगे दबंगो का दावा था कि उक्त भूमि को रेलवे ने अधिगृहित कर लिया है और पीड़ितों से जमीनों के कागजात मांगने लगे, डीएम साहब बताइये एक ही जमीन को कितने लोगों और विभागों ने अधिग्रहण किया है सरकारी कागजो मे जमीन पीड़ित दिव्यांग विनोद और उसके भाई के नाम दर्ज, उन्ही सरकारी दस्तावेज राज्य सरकार भूमि को अधिगृहित करती है लेकिन महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के लोग और प्रॉपर्टी डीलर माफिया इस सरकारी अधिग्रहीत भूमि पर क्या करने जा रहे है ? 






उन्हें किसने अधिकार दिया राज्य सरकार या रेलवे की भूमि नपाई करने के लिए ? अगर रेलवे या राज्य सरकार ने उसी भूमि का अधिग्रहण किया है तो भू स्वामियों को सूचना क्यों नही दी गई? उन्हें मुवावजा क्यों नही दिया गया? लगातार ऐसी घटनाओ के बाद भी माफिया पर कार्यवाही क्यों नही हो रही है? उसके बाद भी दिनाँक 23 अक्टूबर 2024 को दोपहर लगभग 3 बजे राजस्व टीम लेखपाल, कानून गो सहित महिला पुलिस, चौकी रायगंज, कोतवाली अयोध्या, चीता मोबाइल दर्जनों की संख्या मे पुलिसकर्मी ,महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के लोग इनको लेकर जमीन नापने पहुँच गए और बताया कि उक्त जमीन को ट्रस्ट के द्वारा सरकार को अधिग्रहण मे दे दिया गया जबकि जमीन शिकायतकर्ता के नाम दर्ज है महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के लोगों द्वारा दावा किया कि मृतक राम प्रसाद मे 1992 में ही उक्त संपत्ति को महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के सहयोगी को बैनामा कर दिया है जिसकी भी जानकारी किसी को नही है दावे के अनुसार कथित बैनामे का दाखिल ख़ारिज भी 1993 में हो चुका है जबकि दावे के अनुसार भू माफिया कोई बैनामा /दस्तावेज / दान पत्र सरकारी अभिलेखों मे दर्ज नही है पीड़ितों को लगातार भूमि से अधिकार छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर तहसील प्रशासन की मंशा व कार्य प्रणाली मामले मे पूरी तरह संदिग्ध है 

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